ज़िंदगी एक लंबा सफ़र है और हम सभी उसके मुसाफ़िर हैं। हर मोड़ पर नए अनुभव, नई कहानियां और नए जज़्बात जन्म लेते हैं। Musafir Shayari (मुसाफ़िर शायरी) उन सभी अहसासों को बयां करती है जो एक मुसाफ़िर अपने दिल में लेकर चलता है। चाहे सफर तन्हाई का हो या किसी के साथ बिताए पलों का, हर एक मुसाफ़िर की एक अलग कहानी होती है जिसे शायरी के ज़रिए बयां किया जा सकता है।
इस पोस्ट में हमने आपके लिए खासतौर पर Musafir Shayari in Hindi (मुसाफ़िर शायरी इन हिंदी) में कुछ बेहतरीन और दिल छू लेने वाली शायरी पेश की है। यह शायरियाँ ना केवल आपके सफर को शब्दों में पिरोती हैं, बल्कि दिल की गहराइयों तक उतर जाती हैं। अगर आप अपने सफ़र, तन्हाई या भावनाओं को शब्दों में ढालना चाहते हैं तो ये शायरी आपके लिए बिल्कुल सही हैं।
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Musafir Shayari in Hindi
जब दिल भटकता है और राहें अनजानी होती हैं, तब Musafir Shayari in Hindi (मुसाफ़िर शायरी इन हिंदी) दिल को सुकून देती है।
हर मोड़ पे एक नया चेहरा मिला,
मैं मुसाफ़िर था, हर चेहरा मंज़िल लगा।
सफर लम्बा था पर हौसला कायम रहा,
मैं मुसाफ़िर था और रास्ता मेरा हमसफ़र रहा।
मंज़िल से पहले कई रास्ते मिले,
मुसाफ़िर हूं मैं, हर मोड़ पे खुद को पाया।
वक्त की धूल में लिपटा रहा,
मुसाफ़िर हूं मैं, खुद को ही ढूंढता रहा।
जब तन्हाई दोस्त बन गई,
तब समझ आया मुसाफ़िर कौन होता है।
कोई ठिकाना नहीं, कोई गिला नहीं,
मुसाफ़िर हूं मैं, बस चलता जा रहा हूं।
राहें भी अनजान थीं और मैं भी,
पर मुसाफ़िर होने की आदत थी पुरानी।
ज़िन्दगी के इस सफ़र में हर कोई मुसाफ़िर है,
कोई मंज़िल के पास तो कोई बस चल रहा है।
मुसाफ़िर हूं मैं,
यादों का सामान साथ लिए चलता हूं।
कुछ ख़्वाब छूटे, कुछ अरमान बचे,
फिर भी मुसाफ़िर हूं, उम्मीदों के संग जिए।
जब सवालों से डर लगने लगा,
तब सफ़र ही जवाब बन गया।
मुसाफ़िर हूं,
मंज़िलों से ज़्यादा रास्तों से प्यार है।
जब हर पड़ाव पे नया सबक मिला,
मुसाफ़िर बनने का असली मज़ा मिला।
मुसाफ़िर हूं,
सफ़र मेरा इश्क़ है और ठहराव मेरा दुश्मन।
कुछ लोग छूटे, कुछ साथ चले,
मुसाफ़िर हूं, पर कहानी अधूरी नहीं।
मुसाफ़िर बन के चला था,
अब रास्ते भी पहचानने लगे हैं।
ना नाम की चाह, ना शोहरत की तलाश,
बस मुसाफ़िर हूं मैं, अपनी राह का राही।
तन्हा चलने का हुनर आ गया,
जब मुसाफ़िर बन गया।
ज़िन्दगी की गली में मुसाफ़िर ही सही,
पर हर मोड़ पे कुछ सिखा गया।
मुसाफ़िर था, हूं और रहूंगा,
क्योंकि ठहरना मेरी फितरत नहीं।
Shayari on Musafir
हर मुसाफ़िर की एक दास्तान होती है, और Shayari on Musafir (मुसाफ़िर पर शायरी) उस सफर की कहानी बयां करती है।
हर दिल में एक मुसाफ़िर होता है,
जो मंज़िल से पहले ठहरता नहीं।
मुसाफ़िर बनो,
क्योंकि रास्ते कहानियों से भरे होते हैं।
इस दिल को समझा नहीं कोई,
शायद ये भी एक मुसाफ़िर है।
हर किसी को छोड़ आया हूं पीछे,
मुसाफ़िर हूं मैं, आगे बढ़ता गया।
मुसाफ़िर की तन्हाई को कौन समझे,
जिसे मंज़िल से ज़्यादा रास्ते प्यारे हों।
हर सुबह एक नई राह लिए आती है,
और मुसाफ़िर फिर से चल पड़ता है।
कोई भी सफ़र आखिरी नहीं होता,
जब तक मुसाफ़िर थक न जाए।
मुसाफ़िर हूं,
अपनी ही दुनिया में गुम।
हर सफ़र में कुछ नया सीखता हूं,
यही मेरी असली दौलत है।
मुसाफ़िर की तरह जीना सिखाया इस ज़िन्दगी ने।
जब हर रिश्ता बोझ बन जाए,
मुसाफ़िर बन जाना ही सही लगता है।
चलते रहो,
चाहे मंज़िल कितनी भी दूर क्यों न हो।
ज़िन्दगी एक किताब है,
और मुसाफ़िर हर पन्ना पढ़ता है।
मुसाफ़िर हूं,
हर पड़ाव एक कहानी है मेरी।
ना कोई इंतज़ार करता है,
ना किसी का करता हूं, मुसाफ़िर हूं मैं।
हर मुसाफ़िर की एक कहानी होती है,
जो सिर्फ़ रास्ता जानता है।
मुसाफ़िर हूं मैं,
हालातों से लड़ना आता है।
रुकना मुमकिन नहीं,
जब तक सांस है, सफ़र बाकी है।
जो मंज़िलों से नहीं डरता,
वही असली मुसाफ़िर होता है।
चल पड़ा हूं अकेला,
क्योंकि भीड़ में खो जाने का डर था।
Musafir Hoon Shayari
"मैं मुसाफ़िर हूं", यह अल्फाज़ जब शायरी बनते हैं तो हर दिल को छू जाते हैं। Musafir Hoon Shayari (मुसाफ़िर हूं शायरी) इसी एहसास का नाम है।
मुसाफ़िर हूं मैं,
मंज़िल नहीं, सफ़र से प्यार है।
मुसाफ़िर हूं,
चलते-चलते अब रास्ते भी अपने से लगते हैं।
मुसाफ़िर हूं मैं,
हर मोड़ पे कुछ नया देखता हूं।
जो साथ चले वो अपने बनते गए,
मैं तो मुसाफ़िर था, रिश्ते बनते गए।
मुसाफ़िर हूं,
ठहरना मेरी फितरत में नहीं।
हर सफर के बाद नया खुद को पाया,
मैं मुसाफ़िर हूं, खुद से ही मिल आया।
मुसाफ़िर हूं, मंज़िलों की परवाह नहीं,
बस चलते रहना आदत है।
मुसाफ़िर हूं मैं,
और ये सफर मेरी पहचान है।
मुसाफ़िर हूं,
पर हर सफर कुछ सीखा गया।
रास्तों का शोर भी अब सुकून देने लगा है,
शायद मुसाफ़िर बन गया हूं मैं।
मैं मुसाफ़िर हूं, मंज़िलें नहीं,
बस खुद से मिलना चाहता हूं।
तन्हा चलना सीखा है मैंने,
क्योंकि मुसाफ़िर कभी किसी का मोहताज नहीं होता।
मुसाफ़िर हूं,
और मेरे नक्शे में कोई किनारा नहीं।
जो वक्त के साथ चलना जानता है,
वही असली मुसाफ़िर होता है।
मुसाफ़िर हूं,
रुकूं तो बिखर जाऊं।
ये रास्ता मेरा है,
और मैं उसका मुसाफ़िर।
मुसाफ़िर हूं मैं,
और हर मंज़िल एक नया सबक है।
सफर मेरा है,
और तजुर्बा मेरी कहानी।
मुसाफ़िर हूं,
और ठहरना मेरी हार होगी।
मुझे ना किसी मंज़िल की फिक्र है,
ना किसी मोड़ की, मैं तो बस मुसाफ़िर हूं।
Musafir Shayari 2 Line
कम शब्दों में गहरी बात कहनी हो तो Musafir Shayari 2 Line (मुसाफ़िर शायरी दो लाइन) दिल को छूने का हुनर रखती है।
सफर में हूं, मंज़िल की फिकर नहीं,
मुसाफ़िर हूं मैं, ये काफी है।
हर मोड़ पे कुछ खोया, कुछ पाया,
मुसाफ़िर हूं मैं, सब सह लिया।
ज़िन्दगी एक सफर है,
और मैं उसका मुसाफ़िर।
कुछ दूरियां जरूरी हैं,
तभी तो मुसाफ़िर को सफर अच्छा लगता है।
ना जाने कितनी कहानियां छिपी हैं हर मुसाफ़िर में।
मुसाफ़िर का काम ही है चलना,
ठहराव उसकी हार है।
हर सुबह एक नई राह लाती है,
और मुसाफ़िर फिर चल पड़ता है।
मंज़िलें कभी आसान नहीं होती,
लेकिन मुसाफ़िर हार नहीं मानता।
कुछ रास्ते खुदा की तरफ भी जाते हैं,
बस मुसाफ़िर बनो।
सफर लंबा हो या छोटा,
मुसाफ़िर की हिम्मत सबसे बड़ी होती है।
चलते-चलते कब खो गया,
ना मैं जान पाया, ना दुनिया।
हर रास्ता कुछ सिखा देता है,
जब आप मुसाफ़िर बन जाते हैं।
मुसाफ़िर हूं,
ठिकाने बदलते रहते हैं।
मुसाफ़िर का रिश्ता हर मोड़ से होता है।
सफर में खुद से मिलने का मजा ही कुछ और है।
मुसाफ़िर हूं,
इसलिए हर पड़ाव एक कहानी है।
हर मोड़ ने कुछ नया सिखाया,
मैं तो बस मुसाफ़िर था।
ज़िन्दगी मुसाफ़िरों की तरह चलती है,
रुकना मना है।
मुसाफ़िर हूं,
और मेरे पास हर मोड़ का जवाब है।
मंज़िल मिले या ना मिले,
सफर का मजा ही काफी है।
Safar Shayari
हर सफ़र एक नई शुरुआत है, और Safar Shayari (सफ़र शायरी) उन यादों का ज़िक्र है जो रास्ते में बनती हैं।
सफर में चलना है,
रुकना नहीं, यही ज़िन्दगी का नाम है।
हर सफर एक नई कहानी कहता है।
रास्ते बदलते गए,
और मैं खुद को पाता गया।
सफर लंबा सही,
लेकिन हर कदम सुकून भरा था।
सफर में जो साथ चलें,
वो ही सच्चे हमसफ़र होते हैं।
सफर में खुद से मिलना भी जरूरी होता है।
सफर चाहे जितना भी हो मुश्किल,
चलने का हौसला होना चाहिए।
ज़िन्दगी का असली मजा सफर में है,
मंज़िल तो बस एक पड़ाव है।
सफर वो नहीं जो खत्म हो,
सफर वो है जो याद बन जाए।
हर सफर एक नया तजुर्बा देता है।
चलो एक ऐसा सफर करें,
जहां मंज़िल की फिक्र न हो।
सफर की थकान भी प्यारी लगती है,
जब मकसद साफ हो।
मंज़िल से ज्यादा रास्तों से प्यार है,
क्योंकि सफर सिखाता है।
सफर में तन्हाई भी सुकून देती है कभी-कभी।
सफर वो नहीं जो शरीर से हो,
सफर वो है जो आत्मा से हो।
सफर में कोई अपना मिले,
तो रास्ता आसान हो जाता है।
सफर चाहे अकेला हो या किसी के साथ,
यादें हमेशा बनती हैं।
सफर ही है जो इंसान को मजबूत बनाता है।
चलते रहो,
यही तो सफर की शर्त है।
हर सफर एक कहानी छोड़ जाता है पीछे।
Musafir shayari image and Status



Conclusion
मुसाफ़िर होना एक एहसास है, एक जज़्बा है जिसे हर इंसान कभी ना कभी महसूस करता है। चाहे वो ज़िंदगी का सफ़र हो या किसी रिश्ते का, हर मुसाफ़िर के दिल में कुछ बातें होती हैं जो सिर्फ शायरी ही बयां कर सकती है। इस पोस्ट में दिए गए हर subtopic की Musafir Shayari आपको उसी एहसास से जोड़ती है।
अगर आप भी खुद को किसी सफर का मुसाफ़िर समझते हैं, तो यहां की शायरियाँ आपके दिल की आवाज़ बन सकती हैं। इन्हें अपने दोस्तों के साथ शेयर करें, स्टेटस बनाएं या किसी को भेजकर अपने जज़्बात बयां करें।
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FAQs
Musafir Shayari किस मौके पर शेयर की जा सकती है?
जब आप अकेले सफ़र में हों, या ज़िंदगी की राहों में कुछ नया महसूस कर रहे हों, तब Musafir Shayari शेयर करना सबसे बेहतर होता है।
क्या Musafir Shayari 2 line में भी मिलती है?
हां, इस पोस्ट में आपको Musafir Shayari 2 Line (मुसाफ़िर शायरी दो लाइन) में भी मिलेगी जिसे आप आसानी से स्टेटस या कैप्शन में इस्तेमाल कर सकते हैं।
Shayari on Musafir क्या होती है?
Shayari on Musafir (मुसाफ़िर पर शायरी) वो शायरी होती है जो एक मुसाफ़िर की भावनाओं, सफर और तन्हाई को दर्शाती है।